Sharirik Shiksha Kya Hai 2024 – शारीरिक शिक्षा का अर्थ और महत्व जाने

Sharirik Shiksha Kya Hai: दोस्तों आज मैं इस लेख के अंदर आपको Sharirik Shiksha Ke Bare Mein हिंदी में जानकारी देने वाला हूँ और बताने वाला हूँ की Sharirik Shiksha Ka Uddeshya Kya Hai, Sharirik Shiksha Ka Kya Mahatva Hai और Sharirik Shiksha Ki Paribhasha के बारे में बताऊँगा। और आप इस लेख को अच्छे से पढ़ते है, तो आपको फिर कभी गूगल में इसके बारे में सर्च करने की अबश्यकता नहीं होगी।

Sharirik Shiksha Kya Hai - Sharirik Shiksha Ka Kya Mahatva Hai - शारीरिक शिक्षा का अर्थ

शारीरिक शिक्षा मतलब Physical Education एक ऐसी शिक्षा है। जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को स्वस्थ रहने के तौर तरीके सिखाए जाते हैं और उसकी महत्ता को समझाया जाता है।

इस शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थी शरीर की आवश्यकता और स्वस्थ रहने के लिए अलग-अलग तरह की कलाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं।

विद्यालय में सह पाठयक्रम गतिविधियों में शारीरिक शिक्षा को सम्मिलित किया जाता है यह शिक्षा का एक भाग है।जिसकी सहायता से छात्रों को सक्रिय और स्वस्थ रखने का प्रयास किया जाता है।

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अगर आप KVS, NVS, UTET, CTET और SSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती है।

आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको Sharirik Shiksha Kya Hai, शारीरिक शिक्षा की परिभाषा क्या है, शारीरिक शिक्षा क्या है और इसके उद्देश्य, शारीरिक शिक्षा कितने प्रकार के होते हैं और शारीरिक शिक्षा का क्या अर्थ है व इसके महत्व के बारे में जानकारी देंगे।

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शारीरिक शिक्षा क्या है? – (Sharirik Shiksha Kya Hai)

अब मैं आपको Sharirik Shiksha Kya Hai बताने वाला हूँ। एक ऐसी शिक्षा जो शरीर के बारे में जानकारी देती है उसे शारीरिक शिक्षा कहते हैं। शारीरिक शिक्षा विशेष रूप से व्यायाम, योग, साफ-सफाई, जिमनास्टिक, खेल कूद, आदि से संबंधित होती है और इसी के संबंध में पढ़ाई जाती है।

शारीरिक शिक्षा देने का उद्देश्य विशेष रूप से छात्रों को स्वस्थ रखना ही नहीं है बल्कि इसे मनोविज्ञान और बाल विज्ञान में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।

क्योंकि शारीरिक शिक्षा शरीर के साथ-साथ विद्यार्थियों के मस्तिष्क और उनके व्यवहार में भी परिवर्तन लाती है यह विद्यार्थियों की मानसिक क्रियाओं को संतुलित करने का काम करती है।

दोस्तों शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह माध्यम है। जो विद्यार्थियों को मानसिक, सामाजिक, बौद्धिक, आर्थिक जैसे सभी रूपों में प्रभावित करती है।

शारीरिक शिक्षा से विद्यार्थियों की मांसपेशियों का विकास होता है यह क्रमबद्ध रूप से विद्यार्थियों का विकास करती है।

शारीरिक शिक्षा विद्यार्थियों की मानसिक और बौद्धिक परिपक्वता में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा के क्षेत्र में Physical Education को शामिल करना एक क्रांतिकारी परिवर्तन है।

यह विद्यार्थियों के चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके विकास से विद्यार्थी समूह में रहना सीखते हैं और सामाजिक कार्यों में श्रमदान के रूप में अपना योगदान देते हैं।

शारीरिक शिक्षा की परिभाषा क्या है? – Sharirik Shiksha Ki Paribhasha

अब आपको Sharirik Shiksha Ki Paribhasha जानने को मिलेगा। अलग-अलग विद्वानों के द्वारा शारीरिक शिक्षा को अलग-अलग शब्दों के रूप में परिभाषित किया गया है जिसके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गई है।

डेलबर्ट यूफर के अनुसार– शारीरिक शिक्षा उन अनुभवों का सामूहिक प्रभाव है जो शारीरिक क्रियाओं के द्वारा व्यक्ति को प्राप्त होता है।

जे.एफ विलियम्स के अनुसार– शारीरिक शिक्षा उन शारीरिक क्रियाओं को कहते हैं जिसका चुनाव उनके प्रभाव की दृष्टि से किया जाता है।

रोजालैंड के अनुसार– शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के भीतरी अनुभवों के कारण व्यक्ति विशेष में होने वाली परिवर्तन के कुल जोड़ को कहते हैं।

जे.बी नेश के अनुसार– यह शिक्षा के संपूर्ण क्षेत्र का वह भाग होता है जिसका संबंध वृहद प्रतिक्रियाओं और उनसे संबंधित अनु क्रियाओं के साथ होता है।

हरबर्ट स्पेंसर के अनुसार– पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए शारीरिक, नैतिक, और मानसिक क्रियाओं की आवश्यकता होती है।

शारीरिक शिक्षा क्या है और इसके उद्देश्य – Sharirik Shiksha Ka Uddeshya Kya Hai

Sharirik Shiksha Ka Uddeshya Kya Hai जानने के लिए इसे पढ़े। दोस्तों हम उम्मीद करते हैं, कि आप पूरी तरीके से शारीरिक शिक्षा क्या होता है के बारे में समझ गए होंगे अब हम आपको इसके उद्देश्यों के बारे में बताते हैं।

  • शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास करना होता है।
  • छात्रों का शारीरिक और मानसिक विकास के साथ-साथ बौद्धिक विकास करना भी इस शिक्षा का मुख्य लक्ष्य होता है।
  • यह शिक्षा विद्यार्थियों को समाज के सहायक तत्व के रूप में तैयार करने का साधन है जिससे विद्यार्थी भविष्य में समाज के साथ समायोजन कर सकें।
  • इस शिक्षा के द्वारा छात्रों को स्वस्थ रहने की कला और गुणवत्ता को समझाया जाता है क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।
  • यह शिक्षा विद्यार्थियों का भावनात्मक विकास करती है यह उनके संवेगात्मक पहलुओं में नियंत्रण लाने का काम करती है।
  • विद्यार्थियों की मांसपेशियों का विकास करने के लिए शारीरिक शिक्षा प्रदान की जाती है इसकी सहायता से विद्यार्थियों निरंतर क्रियाशील बने रहते हैं।

शारीरिक शिक्षा का महत्व और जरूरत – Sharirik Shiksha Ka Kya Mahatva Hai

Sharirik Shiksha Ka Kya Mahatva Hai आपको यहाँ पर पता चल जाएगा। शारीरिक शिक्षा की मदद से विद्यार्थी अपने समय का सदुपयोग करना सीखते हैं। यह शिक्षा उनके चरित्र और व्यक्तित्व को निखारने का काम करती है।

Physical Education छात्रों के भीतर मौजूद कौशलों का विकास करती है और उसमें निपुणता लाने का काम करती है।

यह शरीर से जुड़ी हुई सभी तरह की समस्याओं का समाधान करने में मदद करती है शारीरिक शिक्षा संवेगात्मक रूप से छात्रों को संतुलित करने की एक कला होती है।

Physical Education की मदद से छात्रों में नैतिक मूल्य और अनुशासन का विकास किया जाता है यह विद्यार्थियों को मानसिक और बौद्धिक दक्षता प्रदान करने के लिए बहुत जरूरी है।

शारीरिक शिक्षा से जुड़े कुछ मिथ

शारीरिक शिक्षा से जुड़ी हुई बहुत सारी भ्रांतियां लोगों के मन में हैं जिनके बारे में एक-एक करके नीचे बताया है।

  • लोगों का मानना है कि यह एक शारिरिक प्रशिक्षण है।
  • बहुत से लोग ऐसा भी मानते हैं कि शारीरिक शिक्षा का मतलब बॉडीबिल्डिंग से होता है।
  • कुछ लोग शारीरिक शिक्षा को खेल की संज्ञा देते हैं।
  • वही कुछ व्यक्ति इसे खेल और सामूहिक व्यायाम मानते हैं।
  • शारीरिक शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य शारीरिक दक्षता है।

आधुनिक शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र – Physical Education

शारीरिक शिक्षा (Physical Education) के कार्यक्रम को चार अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा जा सकता है, जिनके बारे में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

1. लोक सेवा कार्यक्रम

शारीरिक शिक्षा ज्ञान के साथ-साथ स्वास्थ्य, स्वच्छता, प्रकृति, पर्यावरण, समाजशास्त्र, जैविक और मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के बारे में भी जानकारी देता है।

2. अंतरंग कार्यक्रम

यह कार्यक्रम शारीरिक क्रिया के माध्यम से समूह, क्लब, समाज, समुदाय, गांव या संस्था आदि की दक्षता को विकसित करने का मौका प्रदान करती है।

3. बहीरंग कार्यक्रम

यह कार्यक्रम समाज, समुदाय, गांव, संस्था, आदि के बीच प्रतियोगिता आयोजित करके उनमें मेलजोल, सद्भावना व मैत्री बढ़ाता है।

4. फिटनेस और मनोरंजन कार्यक्रम

यह कार्यक्रम छात्रों को रोमांच, क्रियाशीलता और व्यापारिक दक्षता में योग्य बनाता है ताकि छात्र अपनी आवश्यकता, इच्छा और भावना की अभिव्यक्ति कर सकें।

निष्कर्ष:- शारीरिक शिक्षा का अर्थ (Sharirik Shiksha Kya Hai)

इस लेख के माध्यम से हमने आप सभी लोगों को Sharirik Shiksha Kya Hai के बारे में बताया है और Sharirik Shiksha Ka Kya Mahatva Hai के बारे में भी समझाया है।

शारीरिक शिक्षा के संबंध में अधिकतर लोग यही सोचते हैं कि यह एक ऐसा विषय है जो सिर्फ शरीर के विकास से संबंधित है, लेकिन ऐसा नहीं है।

शारीरिक शिक्षा यानी Physical Education शरीर के विकास के साथ-साथ मानसिक विकास, बौद्धिक विकास और सामाजिक विकास मे भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

हम उम्मीद करते हैं, कि इस लेख के माध्यम से आपको शारीरिक शिक्षा के संबंध में अच्छी और पूरी जानकारी मिली होगी और आपको इस संबंध में अधिक जानने के लिए किसी अन्य वेबसाइट पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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